लेसिक उपचार – आँखों की देखभाल
लेसिक उपचार जिसका पूरा नाम लेज़र इन सीटू केटमीलेयसिस है | इसमें मनुष्य की आँखों को बिना चीर–फाड़ किये ठीक किया जा सकता है | अगर मुनष्य की आंख के रेटिना ( गोलाकार जो आंख के अंदर होता है ) में कोई विकार है या वह गोलाकार न रह कर खराब हो गया है | उसे दोबारा से गोलाकर बनाने के लिए शल्य –चित्साका की जरूरत होती है | लेसिक उपचार में उसे बिना चीरफाड़ के सिर्फ बहार से ही उपचार करके ठीक कर दिया जाता है |
इसमें लेज़र की मदद ली जाती है | जिसे बाहर से चलाया जाता है और यह आंख के अंदर जा आकर अपना काम करती है |
इसका मुख्या काम आंख के अंदर की मरमत करना होता है | यह पास वाली परतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचती बल्कि सिर्फ अपने लक्ष्य पर ही काम करती है |
आंख के सभी विकारों को दूर करने के लिए भारत समेत सभी देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है | आंख की शल्य–चिकत्सा को पहले बहुत बड़ा माना जाता था तथा लोग इससे घबराते भी थे , लेकिन जब से लेसिक लेजर तकनीक ए है यह एक आम उपचार बन आकर रह गयी है |
लेसिक तकनीक दूर की नजर , पास की नजर का कम होना एवं आँखों के अन्य विक्लप भी दूर करने में समरथ है |
फायदे क्या क्या है –
– यह तकनीक बहुत काम समय लेती है | आँखों के उपकाहर के दो दिन बाद मनुष्य सामान्य जिंदगी में वापिस आ जाता है
– इस उपचार में मरीज को दर्द न के बराबर होता है | पहले की जाने वाली शल्य–चित्साओं में बहुत दर्द होता था और कई दिनों तक दर्दनाशक दवायां खानी पड़ती थीं |
– किसी तरह की चीर–फाड् की जरूरत नहीं होती , इसलिए बहुत ही सुरक्षित उपचार है |
इस उपचार की कुछ हानिकारक प्रभाव भी हैं –
– आंख की कर्निया में आया कोई भी बदलाव दोबारा बदला नहीं जा सकता | आंख की किसी भी और तबदीली को बदलने के लिए फिर से लेसिक उपकाहर की हे जरूरत पड़ेगी |
– यह एक महंगा उपचार है |
– चित्सक बहुत अनुभवी होना चाहिए तभी इसमें सफलता मिलती है |
– बहुत जटिल पर्किर्या है , अगर कहीं पर थोड़ी से भी चूक हुई तो आपकी आंख की रौशनी जा सकती हैं |
लेसिक पर्किर्या में कोली चूक हो जाये तो उसके प्रभाव भी आपको दिखाई देते है | अगर यह दिखे तो तुरंत चित्सक से संपर्क करें –
– आँखों के आगे लाल धब्बे
– ड्राइविंग करने में दिक्कत
– आँखों का हमेशा सूखा रहना
– आँखो के अंदर खारिश
– हर वास्तु का दो–दो नजर आना
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